Arc Philosophy I Think, मैं सोचता हूँ

I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 4)

“दुनिया भी अजीब है। कभी समझ नहीं पायी कि क्या सही है, क्या गलत। ये बस पक्ष लेती है। कभी आपका, कभी मेरा। और इसे कुछ नहीं पता कि क्या सही है। और शायद ये देख भी नहीं पाती क्योंकि भला, किसी की शकल पे लिखा तोड़ी है गलत या सही। मगर फिर मैं यह […]

I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 4) Read More »

An Eye Is The Difference

I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 3)

मैं अक्सर एक सवाल अपने से बार-बार पूछता हूँ। पूरी उम्र निकाल दी, कुछ अलग हट के करने में। मेरे पिछले बॉसेस ने मुझे हमेशा एक ही बात कही है – ‘मनीष, थिंक आउट ऑफ द बॉक्स’। और मैं आज इस पर सोचता हूँ। तो मैं उनकी बात पे हस्ता हूँ। आखिर, कैसे मैं थिंक

I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 3) Read More »

An Eye is the difference Chapter 2

I Think, (मैं सोचता हूँ अध्याय 2)

“क्या है डिफरेंस? इसे कैसे देखा जाए? जरा जोर डालिये। सबके पास एक जैसी ही आँखें हैं, बस फरक ये है कि किसी की कमजोर है और किसी की पूरी है। मगर दरअसल, हम सब की नज़रें कमजोर हैं, इतनी कमजोर कि हम अंधे हो रखे हैं। ये एक बहुत बड़ा सत्य है और इसी

I Think, (मैं सोचता हूँ अध्याय 2) Read More »

An Eye IS The Difference

I Think, First Thought (मैं सोचता हूँ अध्याय 1)

“खुद को कभी देखा है, आईने में जरूर देखा होगा। भला कौन नहीं देखता। मगर कभी ये सवाल आया है की आखिर मैं इस शक्ल को पा सकता हूँ? महज दो डीएनए ने मिल कर मुझे ऐसा बना दिया की मैं ऐसा दिखने लगा। अगर ये ख्याल आज आपके दिमाग में आया है तो सही

I Think, First Thought (मैं सोचता हूँ अध्याय 1) Read More »

An Eye IS The Difference

I Think (मैं सोचता हूँ) Introduction, A Philosophy

गुंबद देखकर अचानक सोचने लगा कि यह भला क्या चीज़ है। फिर उसके नीचे बैठकर उसकी छाया में उस पर की हुई कलाकारी को देखने लगा। अचानक से आँखों के आगे अंधेरा छा गया। तबियत थोड़ी नजर दिखी। फिर उठा, एक सेब खाया और फिर उस कलाकारी में खो गया। उसकी नक़्क़ाशी की बारीकियां इतनी

I Think (मैं सोचता हूँ) Introduction, A Philosophy Read More »