August 2, 2025

I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 4)

“दुनिया भी अजीब है। कभी समझ नहीं पायी कि क्या सही है, क्या गलत। ये बस पक्ष लेती है। कभी आपका, कभी मेरा। और इसे कुछ नहीं पता कि क्या सही है। और शायद ये देख भी नहीं पाती क्योंकि भला, किसी की शकल पे लिखा तोड़ी है गलत या सही। मगर फिर मैं यह […]

I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 4) Read More »

Living It As A Hindu (खोया हिंदुत्व) – Introduction

त्र्यम्बकं यजामहे इन शब्दों को सुनकर बड़े रोग हरते हैं मनुष्य के। इसका यथार्थ इस पुराण में दार्शनिक रूप से विस्तारित किया गया है। चक्र है इस धरा पर, ऐसा चक्र जिससे कोई भी अछूता नहीं रहा। युगों-युगों से अनुभूतियाँ स्पष्ट रूप में देखने को मिली हैं, और इन्हीं अनुभूतियों को जीवन का यथार्थ स्वरूप

Living It As A Hindu (खोया हिंदुत्व) – Introduction Read More »