I Think (मैं सोचता हूँ अध्याय 4)
“दुनिया भी अजीब है। कभी समझ नहीं पायी कि क्या सही है, क्या गलत। ये बस पक्ष लेती है। कभी आपका, कभी मेरा। और इसे कुछ नहीं पता कि क्या सही है। और शायद ये देख भी नहीं पाती क्योंकि भला, किसी की शकल पे लिखा तोड़ी है गलत या सही। मगर फिर मैं यह […]
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